श्मशान घाट पर शाम होते ही छा जाता है अंधेरा,भय के माहौल में परिजन अपनो का करते है अंतिम संस्कार
प्रशासन का आश्वाशन खोखला साबित हुआ, बिजली खम्भे है,पर प्रकाश की नही की गई व्यवस्था
बक्सर अप टू डेट न्यूज़ |चौसा :-कोरोना के दूसरी लहर में गंगा में बहते शवों को ले सुर्खियो में रहने वाला व चौसा श्मशान घाट आज भी उपेक्षाओं का दंश झेल रहा है।भय के माहौल में।घाट पर शव को ले पहुचने वाले लोग अंतिम संस्कार अंधेरे में करते है।साथ ही इस घाट पर आने वाले शवों का आंकड़ा भी रखना बन्द कर दिया गया है।हालांकि घाट पर शवो का आना लगातार जारी है।चौसा श्मशान घाट पर लाइट,पेयजल आदि सुविधा की व्यवस्था करने की बात कहा गया था।लेकिन, विधुत तार व पोल के अलावा अभी तक कोई सुविधा मुहैया नही कराया गया।
बता दे कि 2021 के मई महीने में चौसा श्मशान घाट पर एक साथ सैकड़ों शव मिलने पर खूब हो-हल्ला मचा। हालांकि, प्रशासन ने माहौल को शांत करने के लिए शव को गंगा नदी से निकाल आनन फानन में सभी को डिस्पोज करा दिया। जिसके बाद घाट पर पुलिस पदाधिकारियो को तैनात कर शवो को गंगा नदी में फेकने वालो को रोककर शवो को जलवाने का कार्य करती थी।लेकिन ठंड के मौसम बढ़ते ही घाटों पर आने वालों शवो की संख्या भी बढ़ गई है। लेकिन डिटेल नहीं रखे जाने के कारण पता मौत का कारण पता नही चल पा रहा है। क्यो की इस घाट पर आने वाले शव वृद्ध बच्चे व युवको की संख्या है।
अभी तक कोई व्यवस्था को सुदृढ़ नही किया जा सका
विगत सप्ताह ठंड से मृत्यु का दर बढ़ने के बाद रात के अंधेरे में फिर गंगा में शव फेंके जाने की सूचना मिली,व श्मशान घाट के पास नदी में शव भी उपलाता देखा गया।जहा एक बार फिर अनुमंडल प्रशासन द्वारा शव का दाह संस्कार के तहत पानी से निकाल मिट्टी में दफन कराया गया। जहा उन्होंने शीघ्र ही बिजली-पानी की व्यवस्था कराने को कहा गया। लेकिन, सप्ताह बीतने को है, अभी तक कोई व्यवस्था को सुदृढ़ नही किया जा सका।
आज रात के अंधेरे में भय के माहौल में किसी तरह शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। जबकि, आज भी अंधेरा होने के कारण किसी के नही रहने पर किसी-किसी के द्वारा शव को गंगा में फेंक दिया जा रहा है। इसके पीछे प्रशासनिक देख-रेख व विधि-व्यवस्था न हौना बताया जाता है।