बसपा नेता खूंटी यादव की हत्या मामला, 2 को उम्रकैद
बक्सर अप टू डेट न्यूज़ | बक्सर न्यायालय बसपा नेता खूंटी यादव के हत्या मामले में छह साल बाद नतीजे पर पहुंची है। इसमें दो हत्या आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय बिजेंद्र कुमार ने इस मामले में पुलिस द्वारा पेश किए गए साक्ष्य और सभी गवाहों को सुनने के बाद नामजद अभियुक्तों रामेश्वर सिंह और कंचन सिंह को 302 एक्ट में आजीवन कारावास, 307 एक्ट में 10 साल और आर्म्स एक्ट अधिनियम में 5 साल की सजा सुनाई है। वाद के शेष 5 अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव व सन्देह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है।
लोक अभियोजक गोपाल जी राम ने बताया कि 18 मई 2018 को रात्रि पौने 9 बजे नामजद अभियुक्तों ने इटाढ़ी गुमटी के पास स्कोर्पियो पर सवार बसपा के प्रदेश महासचिव खूंटी यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हमले में मृतक के बेटे यशवंत सिंह भी घायल हो गए थे। उन्हीं के बयान के आधार पर इस मामले में 7 लोगो पर नामजद एफआईआर दर्ज करायी गई थी।
पुलिस ने बक्सर नगर थाना कांड संख्या 261/2018 अंतर्गत 302,307,120 बी, 34 भारतीय दंड विधान एवं 27 आर्म्स एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की थी। दोष सिद्ध हत्यारों को हर धारा में कारावास की सजा के साथ अर्थदंड भी देना होगा। धारा 302 के तहत 50 हज़ार और धारा 307 के तहत भी 50 हज़ार रुपए का अर्थ दंड लगाया गया है। साथ ही 27 आर्म्स एक्ट के तहत पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। अर्थ दंड नहीं देने पर 6 महीने की कारावास की सजा और भुगतनी होगी।
हत्यारों को सजा भुगतने के लिए केंद्रीय कारा बक्सर भेज दिया गया है। इस मामले में बचाव पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता बबन ओझा एवं उमेश कुमार ने अपना अपना पक्ष रखा था। खूंटी यादव हत्याकांड के मुख्य आरोपी अधिवक्ता चितरंजन सिंह की भी अपराधियों ने 5 वर्ष पूर्व ही गोली मारकर हत्या कर दी है। वह न्यायालय से अपना काम निपटा कर अपने गांव सदर प्रखंड के जगदीशपुर जा रहे थे। इसी बीच हमलावरों ने उन्हें न्यायालय के गेट के बाहर निकलते ही गोलियों से भून दिया था।
चितरंजन सिंह पर यह आरोप था कि उन्होंने तीन लाख रुपए की सुपारी देकर खूंटी यादव की हत्या कराई थी। खूंटी यादव की हत्या भूमि विवाद में की गयी थी। उसमें खुलासा हुआ था कि चितरंजन, ददन चौधरी, काउन चौधरी, रामेश्वर चौधरी ने दिनेश राय से खूंटी यादव की हत्या करने के लिए कहा था। वहीं जमीन की वारिस हत्या के मामले में भी चितरंजन सिंह का नाम आया था।जिसमें वह जेल भी गए थे।