थाना से महज कुछ ही दूरी पर दिखी शराब की सैकड़ो खाली बोतलें, उठ रहे है सवालिया निशान
प्रखण्ड परिसर, अंचल परिसर और यादव मोड़ चौक के पास फेंकी गई शराब की बोतल बता रही है कि शराबियो की सजती है महफ़िल, मिल रही है आसानी से शराब
बक्सर अप टू डेट न्यूज़|चौसा :- मुफस्सिल थाना क्षेत्र के यादव मोड़ चौक के पास ब्रांडेड अंग्रेजी शराब की बड़ी खाली बोतले, प्रखण्ड मुख्यालय परिसर, अंचल कार्यालय के पास एवं यात्री सेड के पास फेंकी देखी जा रही है। थाना से महज दो सौ मीटर पर देखने को मिल रही ये शराब की बोतल पुष्टि कर रही है कि शराब शहर ही नहीं बल्कि गांव के चौक चौराहों पर आसानी से उपलब्ध हो जा रहे है।
प्रतीत होता है कि थाना क्षेत्र से महज कुछ ही दूरी पर पियक्कड़ों का जमावड़ा भी होता है। जमकर रात के अंधेरे में शराब पार्टी चलती है।लेकिन पास ही में मौजूद थाना को पता भी नही चल रहा है। यहां भी पुलिस को कड़े कदम उठाने के लिए शायद गोपालगंज व नालंदा जैसी घटना का इंतजार हों।बड़ी संख्या में शराब की खाली बोतल मिलने से लोगों में चर्चा तेज हो गयी है तो लोग खुलेआम स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न भी उठा रहे हैं।
दिख रहा है शराबबंदी के सच
बिहार में शराब बंदी सरकार का एक अच्छा निर्णय है। लेकिन पूर्ण शराबबंदी का चाहे जितना दावा कर लिया जाए। चौक चौराहों व गांव कस्बे में मिलने वाले शराब की खाली बोतलें शराबबंदी के सच को दिखा रही है। स्थानीय थाना क्षेत्र में शराब अगर मिलती और बिकती नही है तो ये खाली बोतल आएं कहा से। शराब बिक्री के लिए पुलिस अपनी पुरी मुस्तैदी से ड्यूटी को अंजाम देने की बात कहती है । अब पूरी तरह से शराबबंदी को लागू कराने के लिए समान्य प्रशासन को भी सरकार ने जोड़ा है। सरकार का पूरा सिस्टम काम कर रहा फिर भी क्षेत्र में शराब मिलता और बिकता है तो तय है जिम्मेवार की कर्तव्यनिष्ठा पर गंभीर सवाल है।
कार्रवाई में नाकाम है पुलिस महकमा
पुलिस प्रशासन शराबबंदी को लेकर लगातार काम करती रहती है लेकिन इसके काम का तरीका अलग है। आम लोगों का भी यह आरोप है कि पुलिस सिर्फ इस अवैध धंधे में बड़े कारोबारियों को पकड़ने में नाकाम है। पुलिस द्वारा सिर्फ छोटे स्पिरिट या देशी का धंधा करने वालों को ही पकड़ती है। यही कारण है की क्षेत्र में शराब का ब्रांड देशी रहे या विदेशी उपलब्धता कम नहीं होती ।
डिलीवरी के लिए जुड़े हैं कई किशोर
सूत्र बताते है कि पहले लोग शराब की दुकान पर शराब खरीदने जाते थे। डिलीवरी बॉय की आमदनी भी एक दिन का हजारों रुपए हैं ।अब इसे थाने की सूचना की विफलता माने जिम्मेवार की साठगांठ, सैकड़ों की संख्या में मिली शराब की खाली बोतलें इस बात का प्रमाण है कि इस थाना में शराब की उपलब्धता है । पर्दे के पीछे ही सही यह धंधा अपना पांव मजबूती से गांव मे जमा चुका है ।
लगातार पकड़े जा रहे तस्कर
अधिकारियों द्वारा बताया गया कि बिहार में शराब बंदी कानून लागू होने के बाद से ही मुफस्सिल थाना पुलिस लगातार छापेमारी कर शराब की बरामदगी सहित धंधेबाजों व शराबियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्रवाई लगातार कर रही है।