विजयादशमी के पांच दिन बाद भी जिंदा रहता इस गाँव में रावण

बक्सर अप टू डेट न्यूज़ \नितीश सिंह | नवरात्रि के बाद विजयादशमी का पर्व पुरे भारत वर्ष में मनाया जाता है| उसी दिन रावण वध का आयोजन भी लगभग हर शहर हर गाँव में की जाती है| लेकिन, बक्सर जिला का एक ऐसा गाँव जहा विजयादशमी के दिन रावण वध नही होता|

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बता दे की बक्सर जो धरा है जो महर्षि विश्वामित्र की तपोस्थली है और प्रभु श्रीराम का शिक्षा स्थल| इसी बक्सर के इटाढ़ी प्रखंड का एक गांव है कुकुढ़ा है| जहां विजयादशमी के दिन रावण वध ना कर के शरद पूर्णिमा के दिन रावण वध होती है| शरद पूर्णिमा विजयादशमी के पांच दिन बाद आता है| इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन मंगलवार होने के बाद छह दिन बाद रावण को जलाया गया|

गांव के बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि यह परम्परा कब से चली आ रही है मुझे नही पता लेकिन हमलोग छोटे में अपने बाबा दादा जी भी इसी शरद पूर्णिमा के दिन रावण वध करते आ रहे है और वही परम्परा चली आ रही है और हमेशा गाँव के सहयोग से चलती रहेगी|

रामलीला समिति द्वारा प्राथमिक विद्यालय के मैदान में रावण का पुतला तैयार किया जाता है।फिर उसे रामलीला के माध्यम से रावण वध कार्यक्रम किया जाता है| रावण वध से पूर्व पुरे उत्साह के साथ कई दिनों तक रामलीला किया जाता है|

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