राजनीति का अखाड़ा बना किसान आंदोलन, सेंकी जा रही अपनी रोटी

बक्सर अप टू डेट न्यूज़/नीतीश सिंह | चौसा प्रखंड में चल रहे किसान आंदोलन अब राजनीतिक रूप लेने लगा है। 14 अक्टूबर 2022 को अखौरी पुर गोला स्थित हनुमान मंदिर पर थर्मल पावर प्लांट के प्रभावित किसानों ने बैठक की थी। जहां से 17 अक्टूबर 2022 को अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने का निर्माण लिया था।

81 वे दिन यानी 5 जनवरी को किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। जहां बिहार एवं उत्तर प्रदेश से हजारों किसानों ने भाग लिया। धरना के 83 वें दिन यानी 8 जनवरी 2023 को किसान हाथों में तिरंगा लिए चौसा चुन्नी मार्ग पहुंचे जहां कम्पनी के द्वारा थर्मल पावर के निर्माण के लिए पाइप बिछाने का शुभारंभ किया जा रहा था। किसानों ने कार्य को रोकवाकर जमीन पर बैठ गए। 8 जनवरी को ही ठंड लगने से धरना दे रहे अलगू सिंह की मौत हो जाती है। जिसके वावजूद भी धरना प्रदर्शन जारी रहता है।

9 जनवरी को किसान पुनः चौसा चुन्नी मार्ग पहुँचते है जहां कम्पनी के द्वारा पाइप बिछाने का कार्य किया जा रहा था। जैसे ही किसानों ने कार्य रोकने का प्रयास करते हैं वैसे ही सैकड़ों पुलिस पहुँच कर किसानों को खदेड़ देती है। 10 जनवरी को धरना प्रदर्शन कर रहे किसान थर्मल पावर प्लांट के गेट पर पहुँच गए। जहा गेंट पर बैठ काम बाधित करने का प्रयास करने लगें। जहा से किसान स्वयं घर चले गए। इसके बाद प्रशासन ने आसपास के सभी दुकानों को बन्द करने का आदेश दे दिया। 10 जनवरी कि रात्रि में पुलिस छापेमारी को पहुँचती है, जहा किसानों के घर को खुलावाकर किसानों, महिलाओं और जो भी दिखता है उसकी पिटाई कर देते हैं। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर कुछ समय बाद वायरल हो जाता है।

11 जनवरी को किसान उग्र हो जाते हैं और सड़कों पर उतर लगभग प्रशासन की 16 गाड़ियों को आग के हवाले कर देते हैं। लगभग 40 से अधिक पुलिस कर्मी जख्मी होते हैं।डीआईजी के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक ने 11 पुलिस कर्मी को लाइन हाजिर कर देते हैं। 12 जनवरी को थानाध्यक्ष और सीओ ने अलग अलग प्रथमिकी दर्ज कराई जिनमे 24 नामजद और 300 अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई। जिनमें 3 लोगों को गिरफ्तार भी पुलिस की। 12 जनवरी को ही घटना की जनकारी मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री सह बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे पहुंचे हैं जहां उनपर भी किसानों ने हमला कर दिया।

इसके साथ ही बक्सर सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी, पूर्व कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह समेत अन्य नेताओं ने बनारपुर पहुँचे थे। जहा से अब किसानों का आंदोलन राजनीति अखड़ा का रूप लेना शुरू कर दिया था।

बक्सर आने के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के नीचे बैठकर मौन व्रत और उपवास पर बैठ जाते हैं। अगले दिन भीम आर्मी के नेताओं ने काला झंडा दिखाकर विरोध करता है। इसके बाद महागठबंधन के नेताओं ने भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को गंगाजल से धोते है। इसके साथ ही किसानों का आंदोलन चलता रहता है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, पप्पू यादव, चिराग पासवान धरना स्थल पर पहुँचे है। जहां सरकार पर जमकर बरसते है।

नेताओं के पछलगुआ बने कुछ चर्चित यूटूबर

कुछ यूटूबर भी धरना स्थल पर अड्डा जमाये हुए हैं। कभी किसानों के हितैषी तो कभी नेताओं के पछलगुआ बनते नजर आ रहे हैं। नेताओं के भाषण में ताली बजाते हुए भी नजर आ रहे हैं। इसका मतलब साफ दिख रहा है वो यूटूबर अपनी रोटी किस तरह से सेक रहे हैं। 14 जनवरी को पुलिस अधीक्षक ने थानाध्यक्ष समेत 5 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर देते हैं। 16 जनवरी को किसानों के नेता राकेश टिकैत धरना स्थल पहुंचे हैं। टैक्टर यात्रा करने की बात कही।

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