11 अगस्त को डुमरांव आए थे बापू, तिरकोनिया मैदान में हुई थी सभा

बक्सर अप टू डेट न्यूज़, डुमरांव | 11 अगस्त 1928 का वो इतिहास अगस्त माह आते ही याद दिला देती है| या ये कहा जाये तो अगस्त महिना ही देश को गुलामी की दासता से मुक्ति दिलाने के लिए शहादत देने वाले वीर सपूतों की यादें ताजा करा देती है|  11 अगस्त 1928 को डुमरांव में  महात्मा गांधी के आगमन के बाद ही क्रांति का आगाज हुआ था। महात्मा गांधी की एक आवाज पर डुमरांव में आंदोलन शुरू हो गया।

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डुमरांव रेलवे स्टेशन के पश्चिमी केबिन से सटे त्रिकोनिया मैदान में बापू को देखने-सुनने वाले लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। उन दिनों वर्ष 1921 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया असहयोग आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन में डुमरांव  क्षेत्र से कईक लोग हिस्सा लिये। उस सभा में भारत माता की जय, महात्मा गांधी की जय के जयघोष से त्रिकोनिया मैदान सहित पूरा डुमरांव और आसपास का इलाका गूंज उठा। बापू का सत्याग्रह एवं स्वदेशी अपनाओ आंदोलन के संदर्भ में भाषण शुरू हुआ। महात्मा गांधी द्वारा भाषण के क्रम में विदेशी वस्त्रों का परित्याग करने का आह्वान करने के साथ ही डुमरांव के सपूतों नें मौंके पर विदेशी वस्त्रों को बदन से उतार फेंका और इनकी होलिका जला दी गई। सभा स्थल विदेशी वस्त्रों के होलिका दहन स्थल के रूप में तब्दील हो गया।

बापू के डुमरांव में आगमन के बाद ही स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में तेजी आई थी। आम आवाम भी स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगा।

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