सीताराम विवाह महोत्सव के दूसरे दिन हुआ जय-विजय लीला का मंचन
सीताराम विवाह महोत्सव के दूसरे दिन हुआ जय-विजय लीला का मंचन
मध्यप्रदेश/बक्सर :- सिय पिय मिलन महोत्सव 53 वाँ के दूसरे दिन प्रभु श्री राम के धरा-धाम पर अवतरण के प्रयोजन का मंचन हुआ।कार्यक्रम विश्व विख्यात संत नेहनिधि नारायण दास भक्तमाली मामा जी महाराज के प्रथम शिष्य श्री रामचरित्र दास जी महाराज, रामलीला व्यास आचार्य श्री नरहरिदास जी महाराज, सिया दीदी के देख रेख तथा कार्यक्रम श्री प्रेमसरोवर बरसाना धाम श्री पूज्य श्री रामरज दास जी महाराज के सानिध्य में चल रहा है।
अवतार प्रयोजन अर्थात जय विजय लीला अंतर्गत दिखाया गया कि प्रभु अपने अवतरण हेतु मानव के कल्याणार्थ धरती पर अवतार लेते हैं।बैकुंठ में शेष सैया पर पौढ़े श्री नारायण की सेवा लक्ष्मी मैया चरण दबाकर कर रही हैं। श्री लक्ष्मी जी के मन में ये इच्छा होती है कि कभी प्रभु की कठोरता भी देखूं। क्योंकि प्रभु के चरण चापते हुए कोमलता तो देख ही रही हूं।
प्रभु को लक्ष्मी जी के मन की बातों का एहसास हो जाता है कि ये हमारी कठोरता देखना चाहती हैं। तो वे अपने द्वारपाल प्रिय पार्षद जय और विजय को बुलाते हैं और अपने ऊपर गदा से प्रहार करने के लिए कहते हैं। जय विजय उनकी इस आज्ञा को मानने से इनकार कर देते हैं।
ततपश्चात प्रभु उन द्वारपालों को वापस भेज देते हैं। उसके बाद वे अपनी माया को बुलाते हैं और उनसे कहते हैं कि चारों ऋषि कुमारों अर्थात सनकादिक कुमारों को अपने चरण रज की धुली से आकर्षित कर हमारे द्वारपालों तक पहुंचा दीजिए।
प्रभु के आज्ञानुसार माया घटना घटाती हैं और सनकादिक कुमार आकर्षित हो जाते हैं और प्रभु के दर्शन हेतु तुरंत प्रस्थान कर देते हैं।
प्रभु के द्वार पर पहुँचते ही सनकादिक कुमारों को जय और विजय द्वारा रोक दिया जाता है।
जय विजय द्वारा रोके जाने पर सनकादिक कुमार क्रोधित हो जाते हैं और उन्हें तीन जन्म तक असुर बनने का श्राप दे देते हैं।
उसके बाद सनकादिक कुमार और जय विजय को अपनी- अपनी गलती का एहसास होता है।
तब प्रभु पहुँचते हैं और उनके अफसोस को अपनी लीला/इच्छा बताते हैं और कहते हैं कि आप लोग तीन बार तीन जन्म तक असुर कुल में अवतार लेंगे और मैं चार बार धरती पर अवतार लेकर तुमलोगों का उद्धार करूँगा।
पहले जन्म में हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष के रूप में अवतार लोगों उस समय मैं नृसिंह और वराह रूप में अवतरित होऊँगा जबकि दूसरे जन्म में रावण और कुम्भकरण के रूप में अवतार लोगे तो मैं राम रूप में अवतरित होकर उद्धार करूँगा और तीसरे जन्म में कंस और शिशुपाल बनकर अवतार लोगो तो मैं कृष्ण बन कर अवतरित होऊँगा, आपलोगों का उद्धार करूँगा। इस तरह से प्रभु के धरा धाम पर अवतरण और लक्ष्मी जी को अपनी कठोरता दिखाने का अवसर प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से विष्णु भगवान-कौशलेंद्र, लक्ष्मी-दिलीप, जय- सीताराम चतुर्वेदी, विजय-सौरभ, ब्रह्माजी-बचाजी, इंद्र-शिवम, नारद-श्याम प्रकाश, मनु जी-नमोनारायण रहे। वही कार्यक्रम में नीतीश सिंह (मीडिया प्रभारी), रविलाल, धनन्जय, पुरुषोत्तम, नंदबिहारी, बाँके, अरविंद, लव, रामू, राजेश, अमरेंद्र, सुरेश आदि मौजूद रहे।