मुंडन संस्कार को ले पहुंचे लाखों लोग, भारी वाहनों की नो एंट्री

बक्सर अप टू डेट न्यूज़ | सोमवार को बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए शहर के रामरेखा घाट के अलावे नाथ, बाबा घाट, सती घाट, रानी घाट आदि घाटों पर लोगों का हुजूम पहुंच रहा है। संतान की सलामती के लिए बक्सर गंगा घाटों पर उनका मुंडन संस्कार करना शुभ मानते है।

जिसको लेकर केवल बक्सर जिले ही नही बल्कि बिहार के कैमूर, रोहतास,भोजपुर जिले के अलावे यूपी से भी विभिन्न साधनों से लोग पहुंच रहे है। जिसके कारण घाट पर नाव का किराया महंगा हो गया है। वहीं दूसरी तरफ बक्सर का किला मैदान अभी से ही वाहनों से भर गया है। ट्रैफिक पुलिस विभिन्न चौक चौराहों पर मौजूद हो व्यवस्था को दुरुस्त करने में पसीने छोड़ रहे है। जिसको देखते हुए भारी वहनों को शहर में रात 8 बजे तक घुसने के लिए माना कर दिया गया है।

महंगा हो जाता है नाव का किराया

बक्सर में मुंडन संस्कार के दौरान घाट पर तैनात लड़की के छोटी नाव का भी किराया हवाई जहाज से भी महंगा हो जाता है। एक किलोमीटर से भी कम दूरी के सफर के लिए नाविक 2000 हजार से 5 हजार तक का किराया वसूलते है। सन्तान की सलामती के लिए गंगा नदी के दोनों किनारों की पूजा अर्चना के लिए नाविकों को मुंह मांगी रकम देने को तैयार रहते हैं। इतना ही नहीं, इस यात्रा को तय करने के लिए सुबह से ही लोगों की लाइन लगी हुई है।

जिले के रामरेखा घाट का विशेष है महत्व

बक्सर जिले की धार्मिक मान्यता के कारण ही इस स्थान को मिनी काशी भी कहा जाता है। यहां गंगा के किनारे रामरेखा घाट नाम का एक तीर्थ है, जहां स्नान के लिए बिहार, यूपी के अलावा नेपाल आदि दूर दराज के ​इलाकों से लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। हिंदू श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक अवसरों पर पारिवारिक अनुष्ठान,मुंडन और स्नान के लिए यहां आते हैं। विशेष मुहूर्त पर यहां पैर रखने की जगह भी नहीं होती है। क्यों कहा जाता है कि त्रेता काल मे इस घाट पर श्री राम पहुंच स्नान किये और भगवान शिव की स्थापना की है। जो रामेश्वरनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। वहीं घाट को राम रेखा घाट कहा जाने लगा।

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