फुलवारी की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु
दुनिया का नाता केवल दिखाने के लिए होता, नाता जोड़ना है तो श्रीराम से जोड़े : श्रीराम चरित्र दास जी महाराज*
बक्सर अप टू डेट न्यूज़- श्री नेहनिधि नारायण दास भक्तमाली विश्वविख्यात मामा जी महाराज के पुण्य स्मृति सह पूजन महोत्सव 14 वॉ वर्ष के बुधवार को कथा के दौरान पूज्य श्रीराम चरित्र दास जी महाराज जी ने पुष्प वाटिका प्रसंग का विस्तार से कथा सुनाये।
कथा के दौरान उन्होंने ने बताया कि गुरुदेव विश्वामित्र की आज्ञा लेकर श्रीराम और लक्ष्मण फूल की डलिया लेकर पूजन के लिए फूल लेने को राजा जनक नंदिनी की वैदेही वाटिका में जाते हैं। जहाँ राजा जनक के महल में अवस्थित पुष्पवाटिका की रखवाली में लगे माली भगवान श्रीराम का पुष्प वाटिका के द्वार पर पदार्पण होता है। वाटिका के प्रमुख द्वार पर ही माली ने श्री राम को वाटिका में प्रवेश से रोक देता है। इस पर श्रीराम ने माली से वाटिका में प्रवेश की अनुमति मांगते हैं। जिसके बाद वाटिका के द्वार पर ही हास-परिहास चलता है।
“फूल लेबे आईनी की किशोरी जी के देखे जी. करी ईमानदारी से कबूल जी..” के गीत से पूरा श्रद्धालु झूम उठे। कथा सुन भगवान के सभी भक्त आनंद लेते हुए भगवान भक्ति के सागर में गोता लगा रहे थे. कथा के दौरान आगे बताये की श्रीराम जी तो जनक नंदिनी श्री किशोरी जी का दर्शन के लिए आये हैं. आप ईमानदारी से यह बात स्वीकार कर लीजिए.
श्रीराम के द्वारा बार-बार गुरु जी की पूजा के लिए फूल जल्दी ले जाने की बातों को अनसुना कर माली अपने संवादों में प्रभु को फंसा लेते थे। आगे बताये की मालियों ने श्रीराम को वैदेही की जय कहने को कहा जिसे प्रभु ने रघुकुल की शान के विरुद्ध माना और ऐसा करने से इंकार कर दिया. हालांकि, बाद में कोई चारा नहीं चलता देख हार मानकर श्रीराम ने जनकपुर के निवासियों एवं जनक पुत्री के जयकारे भी लगाये. जयकारे के बाद मालियों ने प्रभु को वैदेही वाटिका में फूल तोड़ने को छूट दे दी. उधर मालियों ने मन ही मन श्री राम को वैदेही का वर मान लिया था. कथा में पूज्य मामा जी महाराज के द्वारा रचित गीतों को श्रवण कर श्रद्धालु झूमते और नाचते रहे।
कथा के दौरान रविलाल, अशोक, लालाजी, श्याम प्रकाश, अशोक मिश्रा, नमोनारायण, राम कृपाल, बिनीता दीदी, हरि जी, नीतीश सिंह समेत ग्रामीण भक्त मौजूद रहे।