श्रद्धालुओं ने पापनाशिनी गंगा में लगाई डुबकी, प्रशासन तैनात

बक्सर अप टू डेट न्यूज़ | सूर्य के दक्षिणायण से उत्तरायण होने पर रविवार को मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पर्व आस्था व श्रद्धा के साथ प्रदेश भर के जिलों में मनाया गया। भीषण ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं ने पाप नाशनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। नदियों के घाट पर हजारों की तादाद में पहुंचे श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सभी जगह पुलिस की टीम के साथ सुरक्षा कर्मियों की भी तैनात रही। वहीं, कई इलाकों में लोगों ने नजदीक के तालाब, पोखरा और चापाकल में ही मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान किया।

स्नान के बाद बड़े-बुजुर्ग के हाथों तिल-चावल और गुड़ का प्रसाद ग्रहण किया। फिर मीठी धूप में बैठकर लोगों ने दही-चूड़ा का आनंद लिया और लाई, मुरलाई और तिलवा का भी लुत्फ उठाया। रात में नये चावल की खिचड़ी बनाकर खाने की परंपरा है। खिचड़ी को लेकर शहर से लेकर गांव तक में उत्सवी माहौल बना रहा।

खेतों में साग खाने को जुटा हुजूम :

बक्सर : मकर संक्रांति पर चने का साग खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। आज भी पूजा- अर्चना और दही चूड़ा के सेवन के बाद महिलाएं, बच्चे खेतों की ओर निकल गए। साग उखाड़कर खाकर अपने व परिवार की सुख- समृद्धि की कामना की गई।

तिल गुड़ और चूड़ा दही के बाद खाया सागः

मकर संक्रांति पर सुबह गंगा स्नान की होड़ सी मच गई। बच्चे बूढे जवान महिलाएं गंगा स्नान के लिए घरों से सुबह ही निकल पड़े। स्नान के बाद तिल गुड़ का प्रसाद ग्रहण में करने के बाद लोगों ने दही चूड़ा खाया। फिर, दोपहर के बाद महिलाएं और युवतियां खेतों की ओर निकल गयी। दोपहर के बाद हरे- भरे चने के खेतों में रंग-बिरंगे परिधानों में लिपटी महिलाएं व युवतियां की टोली जमा हो गयी। हर कोई चने का साग खाकर पौराणिक परंपरा का निर्वहन किया। संध्या समय लोग खिचड़ी का सेवन किया। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी व साग खाने से सूर्य देव और शनिदेव दोनों की कृपा रहती है।

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